पड़ोस की विधवा भाभी

प्रेषक : जीत शर्मा

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फिर दो दिन बाद मैंने उसे फ़ोन किया, थोड़ी बहुत इधर-उधर की बात की और फिर सीधे मतलब की बात पर आ गया। मैंने कहा- भाभी ! आप जानती हो कि मैंने आपका फ़ोन नंबर क्यों लिया है? उसने कहा- हाँ !

मैं चौंक गया, मैंने कहा- आपको पता है कि मुझे आपसे क्या काम है?

उसने हंसते हुए कहा- देवर को भाभी से और क्या काम होगा !

मेरा तो लण्ड झट से खड़ा हो गया, तो मैंने कहा- कब प्रोग्राम रखना है?

उसने कहा- अभी मेरा बेटा घर आया हुआ है, जब वो वापस अपने बोर्डिंग स्कूल में चला जायेगा, तब कुछ रखेंगे।

मैंने कहा- ठीक है।

कुछ दिनों के बाद उसका बेटा वापस चला गया। मैंने उसे फ़ोन किया और कहा कि आज चुदाई का प्रोग्राम रखते हैं।

वो थोड़ा हिचकिचाई और थोड़ी आनाकानी करने लगी। मेरे घर उस दिन कोई नहीं था, मैंने उसे कहा- मैं आपके घर आ रहा हूँ।

उसने कहा- ठीक है।

फिर मैं उसके घर गया, मेरा लण्ड तना हुआ था, जींस से उभार साफ़ नज़र आ रहा था। मैं उसके घर पहुँचा, वो खाना बना रही थी। हमने थोड़ी देर बात की, मैंने उसे पूछा कि वो अपनी जवानी की प्यास कैसे बुझाती है?

उसने बड़े प्यार से कहा कि वो उंगली-मैथुन कर लेती है। हमने थोड़ी बहुत ऐसी ही बातें कीं। उसकी नज़र मेरे लण्ड पर पड़ी, वो बोली- काफी बड़ा लगता है?

मैंने कहा- खुद ही देख लो !

उसने कहा- अभी नहीं ! मैं खाना खाने के बाद तुमको बुलाती हूं।

मैंने कहा- ठीक है।

फ़िर मैं वहाँ से वापस अपने घर आ गया और उसके फ़ोन का इंतजार करने लगा।

मैं एक बात बता दूँ कि मेरा लण्ड बहुत जल्द ही खड़ा हो जाता है और उसमें से काफी सारा पानी निकलता रहता है, इसलिए मैं कई बार अपने लण्ड पे प्लास्टिक की थैली बांध देता हूँ। उसदिन भी मैंने ऐसा ही किया। फिर थोड़ी देर के बाद उसका फ़ोन आया, मैं झट से उसके घर गया। दरवाज़ा खुला था। मैंने अंदर जाते ही दरवाज़ा अंदर से बंद कर दिया। फिर हम दोनों उसके ऊपर के कमरे में चले गए।ऊपर जाते ही उसने मुझे अपनी बाहों में भर लिया और मैंने उसके होटों को चूम लिया। हम करीब दस मिनट तक ऐसे ही एक दूसरे को चूमते रहे। फिर मैंने धीरे से अपना एक हाथ उसके बायें स्तन पर लगाया और उसे मसलने लगा। उसके मुख से सिसकियाँ निकलने लगी- आह……आह…..

मैंने अपना एक हाथ उसके पीछे लगाया और उसकी गांड मसलने लगा। उसने उस दिन नाईट ड्रेस पहना हुआ था। मैं नीचे झुका और उसका ड्रेस नीचे से ऊपर किया और उतार दिया। वाह ! क्या गोरा बदन था उसका ! अब वो सिर्फ काले रंग की ब्रा और पेंटी में थी। मैंने अपने दोनों हाथ उसके स्तनों पर लगाये और मसलने लगा। फिर मैं नीचे झुका, मैंने उसकी पेंटी पर अपना मुँह लगाया और उसकी चूत को पेन्टी के ऊपर से चाटने लगा। वो सिसकियाँ लेने लगी।

फिर मैंने उसको पूरी नंगी कर डाली ! वाह, क्या चूत थी उसकी ! उस पर एक भी बाल नहीं था।

मैंने कहा- भाभी, आज ही सफाई की लगती है?

उसने कहा- पहले कभी किसी औरत को नंगा देखा है?

मैंने कहा- नहीं ! और यह सच भी था।

अब उसकी बारी थी, उसने मेरा टीशर्ट उतारा, मेरे पैंट उतारी और धीरे धीरे करके मुझे बिलकुल नंगा कर दिया और मेरे लण्ड को देख कर तो वो खुश हो गई, बोली- यह तो मेरे पति के लण्ड से दोगुना है। उसने तुंरत ही मेरे लण्ड को अपने मुँह में ले लिया और लॉलीपॉप की तरह …

पूरी कहानी यहाँ है !